December 23, 2024 8:36 am

उत्तराखंड : राजभवन-सीएम आवास समेत कई सरकारी भवनों पर करोड़ों का कर, बार-बार नोटिस के बाद भी नहीं कराया जमा

देहरादून: गढ़ी कैंट छावनी बोर्ड को कई सरकारी भवनों से बकाया भवन कर नहीं मिल रहा है, इनमें राजभवन से लेकर मुख्यमंत्री आवास तक शामिल हैं। बोर्ड ने कई बार संबंधित विभागों से पत्राचार भी किया पर कुछ नहीं हुआ। ऐसे में स्टाफ और पेंशनर्स को वेतन-भत्ते तक देने में दिक्कत हो रही है।

बजट के अभाव में विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। दो साल से चुनाव भी नहीं हुए।गढ़ी गैंट छावनी क्षेत्र में मुख्यमंत्री आवास, राजभवन, बीजापुर गेस्ट हाउस, एफआरआई, व्हाइट हाउस सहित कई प्रमुख सरकारी भवन हैं। इन सभी पर कर के रूप में छावनी परिषद का लाखों रुपये सालाना बनता है। इनमें से कुछ भवनों ने कुछ समय पूर्व अपना कर अदा कर दिया था, लेकिन मुख्यमंत्री आवास का कर 2009 से अदा नहीं हुआ।

राजभवन पर 10 लाख रुपये अभी भी बकाया

अब मुख्यमंत्री आवास पर 85 लाख से ज्यादा का कर बकाया है। राजभवन पर करीब 23 लाख रुपये का कर था, जिसमें से 13 लाख रुपये जमा किए जा चुके हैं पर करीब 10 लाख रुपये अभी भी बकाया हैं। बीजापुर गेस्ट हाउस पर 20 लाख से ज्यादा बकाया है। बताया जाता है कि बीजापुर गेस्ट हाउस जब से बना तब से एक बार ही पांच लाख रुपये जमा कराए गए।

सबसे बुरी हालत एफआरआई की है। एफआरआई पर करीब कई करोड़ रुपये बकाया थे, जब कैंट बोर्ड ने बार-बार पत्राचार किया तो बताया गया कि एफआरआई को तीन हिस्सों में विभाजित किया गया है। आधा हिस्सा एफआरआई का है, जबकि बाकि आधे में सेंटर एकेडमी स्टेट फॉरेस्ट और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी का क्षेत्र है। जिसके बाद 2.63 करोड़ की वसूली के लिए एफआरआई और दो करोड़ के लिए बाकि दोनों संस्थानों को बिल भेजा है।

अस्पताल, चक्की पर भी लाखों का बकाया

प्रेमनगर में संयुक्त चिकित्सालय है। यह स्वास्थ्य विभाग के अधीन है। इस अस्पताल पर गढ़ी कैंट छावनी बोर्ड के करीब 58 लाख रुपये बकाया हैं। कई बार छावनी परिषद की ओर से सीएमओ देहरादून को इस संबंध में पत्र लिखा गया, लेकिन आज तक बकाया कर जमा नहीं किया गया। गढ़ी कैंट क्षेत्र में सिंचाई विभाग की पानी की चक्की है। इस पर भी करीब दो लाख रुपये का कर बकाया है।

गढ़ी कैंट छावनी बोर्ड का करोड़ों रुपये सरकारी कार्यालयों पर बकाया है। समय-समय पर संबंधित विभागों के साथ पत्राचार किया जाता है। बावजूद इसके कई ने अब तक भुगतान नहीं किया है।

हरेंद्र सिंह, सीईओ, गढ़ी कैंट बोर्ड

Leave a Comment

और पढ़ें

मतदान सर्वेक्षण

42
Default choosing

Did you like our plugin?

  • Poola Jada

और पढ़ें