December 23, 2024 7:41 am

चीर बंधन के साथ पहाड़ में शुरू हुई खड़ी होली, होल्यारों पर चढ़ने लगा फाग का रंग,  जानें कब है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

हल्द्वानी: कुमाऊं में होली में चीर या निशान बंधन का विशेष महत्व माना जाता है. होलिकाष्टमी के दिन मंदिरों में सार्वजनिक स्थानों पर एकादशी को मुहूर्त देखकर चीर बंधन किया जाता है. चीर बांधने के साथ ही होल्यार घर-घर जाकर खड़ी होली गायन शुरू करते हैं. चीर बंधन के साथ ही होली के गीतों और रंगों से पहाड़ होली के रंग में रंगना शुरू हो गया है.

कुंमाऊ में होली प्रारंभ करने से पहले प्रत्येक घर से एक-एक नए कपड़े के रंग-बिरंगे टुकड़े चीर के रूप में लंबे लट्ठे पर बांधे जाते हैं. उसके बाद राम, कृष्ण शिव पार्वती कैलै बांधी चीर, गणपति बांधी चीर होली गाकर होली का शुभांरभ किया जाता है. कुमाऊं में चीर हरण का भी प्रचलन है. गांव में चीर को दूसरे गांव वालों की पहुंच से बचाने के लिए दिन रात पहरा दिया जाता है. चीर चोरी चले जाने पर अगली होली से गांव की चीर बांधने की परंपरा समाप्त हो जाती है. कुछ गांवों में चीर की जगह लाल रंग के झंडे निशान का भी प्रचलन है.

चीर मंदिरों में होली से पूर्व एकादशी पर खड़ी होली के पहने दिन चीर बांधने का अपना ही महत्व है. इस दिन लोग बांस के लंबे डंडे पर नए कपड़ों की कतरन बांधकर मंदिर में स्थापित करते हैं. जिसके हाद चीर के चारों ओर लोग खड़ी होली गायन करते हैं. घर-घर जाकर खड़ी होली गाते हैं. होलिका दहन के दिन इस चीर को होलिका दहन वाले स्थान पर लाते हैं. बांस में बंधे कपड़ों के कतरन को प्रसाद के रूप में बांटते हैं. जिसे लोग अपने घरों के मुख्य द्वार पर बांधते हैं. मान्यता है कि इससे घर में बुरी शक्तियों का प्रवेश नहीं होता. घर में सुख-शांति बनी रहती है.

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

ज्योतिषाचार्य नवीन जोशी की मानें तो इस बार होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा. जबकि, रंगोत्सव 26 मार्च को मनाया जाएगा. ज्योतिष की गणना के अनुसार, होलिका दहन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त 24 मार्च की रात 11 बजकर 9 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 25 मार्च की दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा.

ज्योतिषाचार्य जोशी के मुताबिक, काशी परंपरा के अनुसार होलिका दहन के अगले दिन रंग उत्सव खेला जाता है, लेकिन शास्त्र परंपराओं के अनुसार चैत्र कृष्ण पक्ष प्रतिपदा को रंग उत्सव मनाने की परंपरा है. ऐसे में आगामी 25 मार्च को दोपहर 12:30 तक पूर्णिमा है, लेकिन होली उत्सव चैत्र कृष्ण पक्ष प्रतिपदा में मनाई जाती है तो ऐसे में 26 मार्च को कुमाऊं मंडल में होली मनाई जाएगी.

होलिका दहन की पूजा विधि

होलिका दहन के दिन होली दहन के स्थान पर जाकर पूरब दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए. पूजन सामग्री जिसमें जल, रोली, अक्षत, फूल, कच्चा सूत, गुड़, हल्दी साबुत, मूंग, गुलाल और बताशे साथ ही नई फसल यानी गेहूं और चने की पकी बालियां ले लें. इसके बाद होलिका के पास ही गाय के गोबर से बनी गुलरियों की माला रख लें.

इसके बाद कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर तीन या सात बार लपेटकर प्रथम पूज्य गणेश जी का ध्यान करते हुए होलिका और भक्त प्रह्लाद की सभी चीजें अर्पित कर पूजा करें. भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार को प्रणाम करते हुए अपने परिवार की सुख समृद्धि की कामना करें और होलिका का दहन करें.

होली मनाने की परंपरा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, होली के दिन दैत्यराज हिरण्यकश्यप की बहन होलिका (जिसे अग्नि से न जलने का वरदान प्राप्त था) भक्त प्रह्वाद को लेकर अग्नि में बैठ गई थी, लेकिन प्रह्वाद को कुछ भी नहीं हुआ. जबकि, खुद होलिका ही उस अग्नि में भस्म हो गई. ऐसे में होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. होलिका दहन के अगले दिन रंगोत्सव मनाने की परंपरा है.

Leave a Comment

और पढ़ें

मतदान सर्वेक्षण

42
Default choosing

Did you like our plugin?

  • Poola Jada

और पढ़ें